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Liabilities Planning

एक मुश्त राशि होने पर, गृह निर्माण/ क्रय हेतु लिए गए ऋण (Home Loan) का पूर्व भुगतान करें या निवेश करें?

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घर खरीदते/ बनवाते (House buying/ constructing) समय भले ही ये विचार मन में न हो कि इस घर के लिए लिया गया ऋण हम निर्धारित अवधि (Loan repayment tenor) के पूर्व ही अदा कर देंगे , परन्तु जब भी एक मुश्त (Lump Sum) पैसा जमा हो जाता है , ऋण का बोझ कम करने की इच्छा बलवती होने लगती है। इस समय यह आवश्यक होता है कि हम यह निर्णय कि , 1.        ऋण के खाते (Loan Account) में वो पैसा डालें, या 2.        उस रकम को किसी बेहतर विकल्प में निवेश करें आर्थिक विश्लेषण (Financial Analysis) के आधार पर लें कि हमारे लिए इन में से कौन सा विकल्प (Option) फायदेमंद है। हालाकि जब कारण विवशता (Compulsion) होता है , जैसे कि इस घर को बेचकर दूसरा खरीदना हो या इसका ऋण समाप्त करके कोई दूसरा बड़ा ऋण लेना हो , इत्यादि , तब तो किसी तरह के आर्थिक विश्लेषण की आवश्यकता ही नहीं होती है। इस ब्लॉग (Blog) में हम विस्तृत चर्चा करेंगे कि फायदेमंद विकल्प के चुनाव के लिए, आर्थिक विश्लेषण (Financial Analysis) कैसे करना चाहिए। सामान्यतः पूर्व भुगतान करने का कारण , ...

रिटायरमेंट फ़ंड के निर्माण लिए निवेश कब प्रारम्भ करना चाहिए ?

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  हर कोई यही कहता है कि रिटायरमेंट फ़ंड ( Retirement Fund) की तैयारी जितनी जल्दी हो सके , शुरू कर देना चाहिए। सैद्धांतिक ( In-principle) रूप से यह एकदम सही है , परन्तु इसका दूसरा पहलू भी है कि यह कितना व्यावहारिक ( Practical) है ? सच्चाई तो यह है कि नौकरी प्रारम्भ करते समय या नौकरी के शुरुआती वर्षों में रिटायरमेंट के बारे में सोचने वाले लोग बहुत कम ही मिलेंगे, क्योंकि अधिकतर लोगों की नौकरी प्रारम्भ करने के बाद काफी समय तक प्राथमिकता ( Priority) अपने रिटायरमेंट का इंतजाम नहीं बल्कि अन्य लघु – अवधि ( Short-term) लक्ष्य ( Target) होते हैं , जैसे - अपने शौक पूरे करना , घूमना-घामना , घर गृहस्थी के सामान खरीदना , इत्यादि। समय के साथ साथ लक्ष्यों में परिवर्तन भी होता है और अगली प्राथमिकता बच्चों के भविष्य पर जाने लगती है , जैसे - बच्चों की पढ़ाई , उनके विवाह इत्यादि। और इसलिए अधिकतर निवेश इन लक्ष्यों को ध्यान में रखकर ही होते हैं परिणामस्वरूप , रिटायरमेंट फ़ंड ( Retirement Fund) की तैयारी , हमारी प्राथमिकताओं में बहुत नीचे दबी रह जाती है। हालाकि , जाने – अनजाने , कुछ निवेश...

बच्चों की उच्च शिक्षा (Higher Education) के बढ़ते खर्च से कैसे निपटें ?

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  बच्चे अच्छी से अच्छी शिक्षा प्राप्त करें , ये हर माता – पिता का सपना होता है। परन्तु जब दिनों-दिन बढ़ते हुए उच्च शिक्षा ( Higher Education )   पर होने वाले खर्च की ओर देखते हैं तो सोचने को बाध्य हो जाते हैं कि कैसे इस दायित्व (Responsibility) को निभाया जाये। दरअसल जिस तेज़ी से ये खर्च बढ़ रहा है , उस तेज़ी से न तो हमारी कमाई (Income) बढ़ती है, और न ही हमारी जमा पूँजी (Savings) । और इसलिए बच्चा जैसे जैसे कक्षाओं में आगे बढ़ता जाता है , वैसे वैसे चिंता बढ़ती जाती है। इस लक्ष्य को पाने के लिए हम निवेश तो करते जाते हैं, पर कई बार ऐसा भी हो जाता है कि अंतत: मिली रकम (Maturity Value/ Grown Fund Value) पर्याप्त नहीं होती है। कई बार, कुछ वर्षों पूर्व ये एहसास भी हो जाता है कि हमारे अनुमान और यथार्थ में काफी अंतर आ सकता है, परन्तु उस समय पर, न ही इतना समय होता है, और न ही इतना पैसा होता है कि इस अंतर को पाटा ( Bridging the Gap) जा सके। इस लेख / ब्लॉग ( Blog) में हम इन्हीं तथ्यों पर विस्त्रत चर्चा करेंगे - यह पूंजीकोष ( Corpus) अन्य पूंजीकोषो से अलग क्यों है – सर्वप्रथ...