रिटायर (Retire)/ सेवा निवृत होने पर पर्याप्त लगने वाली आय कुछ ही वर्षों में कम क्यों पड़ने लगती है, इससे कैसे बचें?
एक लम्बी नौकरी के बाद हर माह वेतन पाने की हमारी एक आदत सी हो जाती है, और इसलिए सेवा निवृती ( Retirement) के बाद भी हम कुछ इसी तरह के प्रबंध में संतुष्ट होते हैं। फिर चाहे वह राशि हमारे वेतन से बहुत कम ही क्यो न हो। इस तरह की अपेक्षा के कारण , हम हमारे पूंजीकोष ( Corpus) का भी कुछ इस तरह से निवेश करते हैं , कि हर माह एक निश्चित राशि ( Fixed Fund) हमारे बैंक खाते मे आती रहे। परिणामस्वरूप, एक निश्चित राशि तो बैंक खाते मे आती रहती है, परन्तु हमारा खर्च पाँव पसारता रहता है , और कुछ वर्षों बाद ये राशि कम पड़ने लगती है। दरअसल , हम इस बात को शायद नज़रअंदाज़ कर जाते हैं कि हमारे वेतन में हर वर्ष एक वेतन वृद्धि (Increment) होती रहती थी इसलिए मंहगाई का असर निष्क्रिय हो जाता था। परन्तु ये विशेषता इस निश्चित राशि में नहीं है , और इसलिए ये निश्चित राशि हमारे वेतन का पर्याय (Alternative) नहीं हो सकती है , जब तक कि इसमें मंहगाई को निष्क्रिय करने प्रावधान सम्मलित न किया जाए। इस प्रावधान की अनुपस्थिति में , शुरुआत में लगने वाली धन की पर्याप्तता , कुछ ही वर्षों में अपर्याप्तता मे...